Friday 21 February 2014

आभार प्रदर्शन

आभार प्रदर्शन तब अधिक खूबसूरत होता है ,जब उसे अच्छी तरह अभिव्यक्त किया जाता है और  हम अपनी खुशी दूसरों के साथ बाँटते हैं ।
   पर अक्सर लोग सोचते हैं मैं आभारी कयों रहूँ ? कुदरत की कृपा से सारी सृष्टि का संचालन होता है ।पर हम कुदरत से कोसों दूर है कया हम कुदरत की इस कृपा का आभार मानते हैं ? पृथ्बी,जल,वायु,अग्नि और आकाश इन पाँच तत्वों से जो हमारा शरीर बना है जिनके सहारे हमारे शरीर का पोषण होता कया कभी हम उनके प्रति अपना आभार प्रदर्शित किया है ? शायद नही । अगर हमें सही में इनका मूल्य समझ आ रहा है तो हमें इनकी कदर करनी होगी ।केवल पेड़ बचाओ ,पानी बचाओ के नारों से का म नहीं चलेगा ,सहीअर्थों में इनकी कीमत जाननी होगी और जब हमारे मन में इन सबके लिए आभार की भावना होगी तो कीमत अपने आप बढेगी ।
    आभार प्रदर्शन हमें सकारात्मक, आशावादी व प्रसन्न बनाता है ,हमें जीवन का सुनहरा पहलू देखना सिखाता है । यह हमें वस्तुओं का महत्व सिखाता है ।
     जब हम किसी भूखे गरीब को खाना देते हैं तो उसकी आँखों में आभार,खुशी हमें साफ दिखाई देती है कयोंकि भूख का दर्द वही जानता है और महत्व भी ।पर हम कया करते है ।कोई हमारे लिए प्लान करता है ,चीजें खरीदता है फिर खाना बनाता है तब कही जाकर गरम खाने की प्लेट हमारे सामने आती है ,पर हम कया करते है? शिकायतें । ऐसा है या वैसा है ।
       जब हम इन सबके प्रति जागरूक हो जाएँगें कि हमें जो मिला है उसके प्रति आभार प्रदर्शित करना जरूरी है  । हमारी नींद, हमारे मित्र ,हमारा अच्छा स्वास्थ्य  सबके लिए । हम अपने अच्छे स्वस्थ्य की कीमत तभी जानते है जब हम बीमार होते हैं । तो शुरुआत कीजिये इस नियम से " केवल आज के लिये कुदरत की कृपा का आभार " फिर रोज इसे दोहराइये ।

Wednesday 19 February 2014

Early rising

early to bed nd early to rise...... ये तो आप सभी  ने सुना होगा  । सचमुच सुबह जल्दी उठने के इतने अधिक लाभ हैं कि शायद गिनना मुश्किल है । सबसे पहले तो  जल्दी उठने से हमारा हर काम समय पर हो जाता है ।  अगर देर से उठने की आदत हो तो  सुबह -सुबह घर मे अफरातफरी मची हुई होती है । ओफिस ,स्कूल, सभी को समय से पहुँचना होता है । किसी को कुछ चाहिए किसी को कुछ ।  माहौल तनाव पूर्ण हो जाता है । इसलिए हमें शुरू से ही समय पर सोने की आदत डालनी चाहिए जिससे हर सुबह खुशनुमा, तनावरहित हो ।और  घर हो या औफ़िस हम अपना काम पूरी ईमानदारी व तल्लीनता से कर सकें ।
    सुबह का समय योगासन ,व्यायाम,चलना ,दौड़ना सभी के लिए सर्वोत्तम  है ।
   सुबह जल्दी उठने से शांति का वातावरण मिलता है ।और हम अधिक एकाग्रता के साथ काम कर सकते है । तो फिर देर किस बात की है कल से ही शुरू कर दीजिए जल्दी उठना ।और फिर देखिये कैसे पूरा दिन तनाव रहित मस्ती में गुजरता है  ।

श्वास लेने का सही तरीका

अरे शीर्षक पढ़ कर चौंकिएगा मत  । आप कहेगें कि ये भी कोई बात हुई साँस लेने का भी कोई तरीका होता है भला ।वो तो सभी एक तरह से ही लेते है ,इसमें भला सीखने जैसी कया बात है ?
   कभी आपने बारीकी से अपनी श्वासलेने की प्रक्रिया का अवलोकन किया है ?
    एक गहरा साँस लीजिए और फिर धीरे-धीरे बाहर छोडिये अब देखिये कि साँस लेते समय आपका पेट फूलता है या छाती । और अगर आपका जवाब छाती है तो आप भी गलत तरीके से साँस ले रहे है ।
   एक योग शिविर में मैंने   यह पद्धति सीखी थी  जो मै आप सबके साथ बाँटना चाहूँगी । सबसे पहले गहरे साँस लेने चाहिए ।  लेते समय पेट फुलाना और छोडते समय अंदर संकोचन करना चाहिए । इस तरह सही तरीके से साँस लेने से अनेक रोगों जैसे अनिद्रा ,त्वचा रोग,मानसिक रोग ,मसल्स रिलेक्सेशन आदि में संपूर्ण स्वस्थता अनुभवी जा सकती है  ।
    कभी आपने गौर किया है जब छोटा बच्चा साँस लेता है तो उसका पेट ऊपर -नीचे होता है और वह गहरे साँस लेता है पर जैसे -जैसे वह बड़ा होता है ये श्वास छिछरा होता जाता है । 
    और ऐसा होने से प्राणवायु कम मिलती है और हार्ट पर अधिक जोर पडता है । और ब्यक्ति अनेक प्रकार के  रोगो का शिकार होने लगता है । कहते है कि श्वसन तंत्र ऐसा तंत्र है जिसे हम  अपनी इचछानुसार  अथवा इच्छा बिना चला सकते हैं । समग्र तंत्र एक खास प्रकार के स्नायुओऔर संवेदन तंत्र से जुड़ा हुआ है  । परंतु जागृत मन द्वारा लिए गए श्वासों द्वारा इस समग्र प्रक्रिया पर अच्छा प्रभाव पडता है ।
    तो फिर देर किस बात की है आज से ही शुरू हो जाइए ।पीठ के बल लेट जाइये फिर एक हाथ पेट पर रख कर ध्यान पूवर्क गहरी साँस लीजिए व धीरे-धीरे छोडिए । अपना पूरा ध्यान केन्द्रीत कीजिए । शुरू में इस तरह से अभ्यास करें । जीवन में नई आशा का संचार होगा ।
 
    
     

Saturday 15 February 2014

तनाव

आजकल कामकाजी युवावर्ग को अक्सर कहते सुना जाता है कि काम का बहुत प्रेशर है ,टारगेट पूरे करने हैं वगैरह-वगैरह  । और यह प्रेशर ही बनता है तनाव का कारण । आजकल अधिकतर देखा गया है कि कम उम्र में ही लोग ब्लड प्रेशर,डायाबिटिस और डिप्रेशन आदि रोगों का शिकार हो जात है । कही न कही इन सबका कारण तनावग्रस्त रहना ही है । युवा वर्ग के साथ -साथ बच्चे ,बूढे सभी किसी न किसी बात को लेकर तनावग्रस्त रहते हैं । बच्चे जहाँ पढाई को लेकर तनाव में रहते है ,बूढों को शेष जिदंगी बिताने का तनाव रहता है ।और कुछ लोग तो छोटी-छोटी बातों को लेकर  तनाव में रहते है और साथ ही साथ अपने आसपास के लोगों को भी उसकी लपेट में ले लेते है  और अपनी कुछ ऐसी हरकतों से जैसे बात-बात पर गुस्सा होना ,बिना वजह डाँटते रहना आदि से सामने वाले को भी परेशान करते हैं ।
     यह एक जटिल समस्या है ।इच्छाएँ अनेक हैं, क्षमताएं कम लेकिन कामनाओं का अंत नहीं है परिणाम तनाव ।
     थोड़ा समय शांति से बैठकर विचार करे  *कया आप छोटी-छोटी बात पर गुस्सा होते है ?*कया आपको नींद बराबर नहीं आती ?*कया आप हमेशा चिंतित रहते है ?
      अगर इन सवालों के जवाब हाँ है तो निश्चित ही आप तनावपूर्ण जीवन जी रहे है ।
     अब सवाल यह है कि कया इन परिस्थितियों से बाहर निकला जा सकता है?तो मेरा जवाब है अवश्य ।इसके लिए सबसे पहले जरूरत है द्रढ निशचय की । प्रमाणिक प्रयत्न के द्वारा हम दैनिक जीवन में जिन छोटी छोटी बातों से हमें परेशानी होती है उन्हें संपूर्ण रूप से हटाकर नई विचारधारा को अपनाएं । मूल रूप में हम सबकी समस्याओं का कारण हमारे द्वारा बाँधे गए पूर्वाग्रह ही होते हैं । जरूरत है तो इन सभी पूर्वाग्रहों को हटाने की । अपनी दिनचर्चा का शांति से अवलोकन करें ,तनाव पैदा करने वाले सभी कारणों पर पहरा लगाएं । अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानें  धीरे-धीरे आप सबल मनोबल वाले बनने लगेंगे और एक तनाव रहित जीवन का आनंद ले सकेंगे ।
     इन सबके साथ थोड़े आसान,प्राणायाम करिए ,खुली हवा में घूमने जाइये ,शवासन कीजिए । अपने मन को अपने बचपन में ले जाइये और याद करें बाल्यावस्था की उछलकूद उसका आनंद, मुक्त मन से हँसना अगर मन करें तो हँसिए ,नाचिये  गाइए । जीवन का आनंद लीजिये ।

     
    

Monday 10 February 2014

प्रथम गुरु माता -पिता

अभी कुछ दिनों पहले की बात है मै अपनी पोती को लेकर नीचे बगीचे मे गई थी ।वहाँ बहुत से बच्चे खेल रहे थे उसमें से कुछ तो बहुत आधिक शरारत कर रहे थे । खेल-खेल में अचानक झगड़ा करने लगे । पास मे उनकी माताएँ ,जो बातों में मशगूल थी उन्हें डांटने लगी कि "इतने मँहगे स्कूल मे पढाते हैं फिर भी ऐसे करते हो । देखो सब कया कहेगें " ।और फिर से वो लोग अपनी बातों में लग गई ।
     मेरे मन में सवाल उठा कि कया मँहगे स्कूल में भेजने से हो जाती है कर्तव्यों की इतिश्री । बच्चे स्कूल से अधिक समय घर मे बिताते हैं ।
  सबसे जरूरी चीज है बालमन को समझना । उनका मन बहुत कोमल होता है ।हमारे द्वारा कही गई किसी भी बात का उनके मन पर बहुत गहरा असर होता है ।
     मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि बालक के प्रथम पाँच वर्ष सीखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं । इस दौरान वह एक साथ बहुत सी चीजें सीखते हैं । आसपास के वातावरण से,माता पिता के वर्तन से,अवलोकन द्वारा वह बहुत कुछ सीखने लगता है ।
   बालक जब पृथ्वी पर आता है तब से जब तक उसकी स्वतंत्र निर्णय शक्ति जाग्रत न हो जाय तब तक उसका सम्पूर्ण ध्यान रखना माता-पिता का कर्तव्य होता है ।अगर इन वर्षोँ में माता-पिता बालक का संपूर्ण ध्यान रखे  तो उनके शरीर व मन का संपूर्ण विकास होता है । इसके लिए शुरू से ही कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिये  जैसे अगर उसे बचपन से अंगूठा चूसने की आदत या इस तरह की कोई और आदत पड़ जाए तो समय रहते छुडाने की कोशिश करनी चाहिए अन्यथा बड़ा होकर बालक लघुताग्रन्थि से ग्रस्तहो जाता है ।
    पहले से ही बालक को पोष्टिक खुराक देना चाहिये । अगर पहले से ही उनको जो पसंद है वही खिलाया  जाता हैतो उनके मन मे यही बैठ जाता है कि जो अच्छा लगे वही खाना है और इस तरह वे संपूर्ण पोषण से वंचित रह जाते है जो आगे जाकर उनके विकास मे बाधक बनता है । बच्चों को खाने का प्रलोभन देकर काम नही करवाना चाहिये ।
     पर्याप्त नींद भी बच्चों के लिए अतिआवश्यक है ।बचपन से ही उन्हें शरीर केएक के बाद एक भाग को ढीला छोडकर आराम षे सोना सिखाया जाना चाहिये । जो बालक पहले से ही ऐसी सचेतन निंद्रा लेना सीख जाए तो आगे जीवन भर स्वस्थ्य रह सकेगा । इन सबके साथ उनको नियमित व्यायाम व खेल कूद के प्रति भी प्रोत्साहित करना चाहिये ।

Wednesday 5 February 2014

नाश्ता

अभी दो-तीन दिन पहले टीओआई मे एक लेख पढा था जिसमें बताया गया था कि अगर आपके बच्चे जब सुबह घर से निकले तो बराबर नाश्ता करके ही उन्हें जाने दें । अगर नाश्ता बराबर से नही किया जाता तो उसका बुरा असर पच्चीस साल बाद उनकीसेहत पर दिखाई देगा ।
    जैसा कि हम सभी जानते है कि सुबह का नाश्ता अच्छी सेहत के लिए सबसे महत्वपूर्ण है ।वो कहते है न कि नाश्ता एक राजा की तरह करना चाहिए ।
     लेकिन जैसा कि मैंने देखा है अधिकतर लोग  इसे इतना महत्व नही देते है । वैसे भी आजकल सुबह-सुबह आमतौर पर घरों में भागाभागी ही रहती है ।बच्चों को स्कूल जाने की,बडों को ओफिस जाने की ।कोई सिर्फ दूध पीकर भागरहा होता है या फिर जल्दी-जल्दी एक आध ब्रेड खाकर  ।
     यह बात सच है कि आजकल भागदौड़ की जिंदगी मे सबसे पास समय कम है फिर भी मै आपसे यही कहना चाहूंगी कि अपने स्वस्थ्य के लिए थोड़ा समय निकाल कर अच्छी तरह नाश्ता ,जो हमारा दिनभर का सबसे महत्वपूर्ण "मील'है ।स्वस्थ्य रहे खुश रहे ।

Tuesday 4 February 2014

बसंत

आई  ऋतु बसंत की मनभावन,
     हर कयारी है महक रही ,
    चिड़िया दिश-दिश चहक रही ।
       हरियाली संग खिले फूल हैं ,
       पीले-पीले चारों ओर ,
       गूँज रही टोली भँवरों की,
     डाल -डाल पर कुहके कोयल ,
       नाच रहे हैं मोर ।
       देख प्रकृति की यह शोभा ,
      झूम उठा है मन मेरा भी ।

Saturday 1 February 2014

मेद वृद्धि और योगासन

आजकल स्वस्थ्य के प्रति लोगो की जागरूकता बढती जा रही है ।अपने वजन को संतुलित रखने के लिये लोग तरह-तरह के उपाय अपनाते देखें जाते हैं ।यह भी सत्य है कि एक बार वजन बढने के बाद उसे काबू में लाना मुश्किल हो जाता है ।
    साधारणतया हर एक व्यक्ति के शरीर में पंद्रह प्रतिशत चरबी होती है । यह शरीर के अवयवों को अपने स्थान पर टिका कर रखती है ।लेकिन जब चर्बी की वृद्धि होने लगती है तो शरीर में अनेक मुश्किलें पैदा होने लगती हैं ।शरीर बैडोल हो जाता है ।भारी शरीर होने से चलने, काम करने, सीढी चढने आदि सभी कामो में परेशानी होती है ।
     अब देखना यह है कि मेदवृद्धि के कारण क्या हैं? अधिक आहार,शारीरिक श्रम का अभाव,स्वभाव ,वंशानुगत और अंतस्रावी ग्रंथियो में असंतुलन ये कुछ मुख्य कारण हो सकते हैं ।
   वजन उतारने का नियम खूब सरल है । मान लीजिए कि हमारा शरीर एक बैंक एकाउंट जैसा है अगर उसमें हम अधिक कैलोरी वाला भोजन जमा ही करते जाएगे तो इसमें चारों तरफ चरबी जमा ही होती जाएगी । इसलिए आवश्यक है कि हम संतुलित आहार के साथ-साथ व्यायाम को भी दैनिक जीवन मे स्थान दे । योगासनों के द्वारा हम अपने वजन को संतुलित कर सकते है साथ ही साथ इनके द्वारा खाने-पीने में एक प्रकार का संयम आता है । मेद खासकर पेट के भाग मे सबसे अधिक होता है इसके लिए भुजंग आसान, नौकासन,हलासन धनुरासन आदि नियमित करने चाहिए ।ये सभी आसान अनुभवी शिक्षक के पास सीखकर ही करने चाहिये । और सबसे महत्वपूर्ण बात है द्रढ निश्चय ।अगर आपने मन मे ढान लिया तो निश्चित ही आप अपने लक्षय को प्राप्त कर सकेंगे ।