Saturday 15 February 2014

तनाव

आजकल कामकाजी युवावर्ग को अक्सर कहते सुना जाता है कि काम का बहुत प्रेशर है ,टारगेट पूरे करने हैं वगैरह-वगैरह  । और यह प्रेशर ही बनता है तनाव का कारण । आजकल अधिकतर देखा गया है कि कम उम्र में ही लोग ब्लड प्रेशर,डायाबिटिस और डिप्रेशन आदि रोगों का शिकार हो जात है । कही न कही इन सबका कारण तनावग्रस्त रहना ही है । युवा वर्ग के साथ -साथ बच्चे ,बूढे सभी किसी न किसी बात को लेकर तनावग्रस्त रहते हैं । बच्चे जहाँ पढाई को लेकर तनाव में रहते है ,बूढों को शेष जिदंगी बिताने का तनाव रहता है ।और कुछ लोग तो छोटी-छोटी बातों को लेकर  तनाव में रहते है और साथ ही साथ अपने आसपास के लोगों को भी उसकी लपेट में ले लेते है  और अपनी कुछ ऐसी हरकतों से जैसे बात-बात पर गुस्सा होना ,बिना वजह डाँटते रहना आदि से सामने वाले को भी परेशान करते हैं ।
     यह एक जटिल समस्या है ।इच्छाएँ अनेक हैं, क्षमताएं कम लेकिन कामनाओं का अंत नहीं है परिणाम तनाव ।
     थोड़ा समय शांति से बैठकर विचार करे  *कया आप छोटी-छोटी बात पर गुस्सा होते है ?*कया आपको नींद बराबर नहीं आती ?*कया आप हमेशा चिंतित रहते है ?
      अगर इन सवालों के जवाब हाँ है तो निश्चित ही आप तनावपूर्ण जीवन जी रहे है ।
     अब सवाल यह है कि कया इन परिस्थितियों से बाहर निकला जा सकता है?तो मेरा जवाब है अवश्य ।इसके लिए सबसे पहले जरूरत है द्रढ निशचय की । प्रमाणिक प्रयत्न के द्वारा हम दैनिक जीवन में जिन छोटी छोटी बातों से हमें परेशानी होती है उन्हें संपूर्ण रूप से हटाकर नई विचारधारा को अपनाएं । मूल रूप में हम सबकी समस्याओं का कारण हमारे द्वारा बाँधे गए पूर्वाग्रह ही होते हैं । जरूरत है तो इन सभी पूर्वाग्रहों को हटाने की । अपनी दिनचर्चा का शांति से अवलोकन करें ,तनाव पैदा करने वाले सभी कारणों पर पहरा लगाएं । अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानें  धीरे-धीरे आप सबल मनोबल वाले बनने लगेंगे और एक तनाव रहित जीवन का आनंद ले सकेंगे ।
     इन सबके साथ थोड़े आसान,प्राणायाम करिए ,खुली हवा में घूमने जाइये ,शवासन कीजिए । अपने मन को अपने बचपन में ले जाइये और याद करें बाल्यावस्था की उछलकूद उसका आनंद, मुक्त मन से हँसना अगर मन करें तो हँसिए ,नाचिये  गाइए । जीवन का आनंद लीजिये ।

     
    

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