Thursday 29 May 2014

योग व स्वस्थ्य

अस्थमा रोग में सूर्यनमस्कार के लाभ -
       सूर्यनमस्कार के नियमित अभ्यास से  श्वसन क्रिया की कार्य क्षमता बढ जाती है   ,और अस्थमा के हमले पर नियंत्रण किया जा सकता है ।और क्रमश: इसके निरंतर अभ्यास से इसे जडमूल से मिटाया जा सकता है ।
      इसके अभ्यास से श्वसननलियाँ विकसित होकर विपुल मात्रा मे प्राणवायु अंदर लेती हैं जिससे छोटी से छोटी रक्त वाहक कोशिकाएं श्वसन कार्य खूब अच्छी तरह से कर सकती हैं ।
  सूर्यनमस्कार की क्रिया में बारह विविध स्थितियां आती हैं  और हर एक स्थिति में सूर्य के बारह नामों में से एक का उच्चारण किया जाता है ।एक नमस्कार मे क्रमश: नमस्कारासन,पर्वतासन,हस्तापदासन,एकपादप्रसरणासन,भूधरासन,अष्टांगप्रणिपातासन,भुजंगासन, भूधरासन,एकपादप्रसरणासन,हस्तपादासन व नमस्कारासन किये जाते है ।
     इसका अभ्यास जानकार के निर्देशन में ही करना चाहिए

सत्संग

सत्संग ,वैसे तो इस शब्द में ही अर्थ छुपा हैं ।सरल भाषा में अगर कहें तो अच्छी सगंत । वो कहते है न कि जैसा संग वैसा रंग । अगर लोहे को कुछ समय के लिए चुंबक के पास रखा जाए तो उसमें भी चुंबकत्व आनें  लगता है । एक सडा हुआ फल अपने पास रखे सभी फलों को सडा देता है ।
   जब दो या अधिक व्यक्ति एक साथ कुछ समय बिताते हैं तो धीरे-धीरे उन पर एक दूसरे की आदतों का असर होने लगता है । क्योंकि जब बार-बार एक ही व्यक्तिसे मिलना होता है तब प्राण,श्वास का आदान -प्रदानहोता है  और हमारी "औरा' के रंग में परिवर्तन दिखाई देता है जैसे पीला जब नीले से मिलता है तो हरा रंग बनता है ,और यही पीला जब काले रंग से मिलता है तो भूरा बन जाता है । कहने का अर्थ यह है कि संगत का असर पडने लगता है ।
  अब मैं बात करना चाहूँगी उस सतसंग की जो अधिकतर महिलाएं अपने मोहल्लों अथवा सोसायटी में करती हैं  जिसमें एक -आध घंटे सकारात्मक विचारों  ,अच्छे व्यवहार आदि पर विचार व्यक्त किए जाते है ।लेकिन उनका असर कितने लोगो पर होता है ?जैसे ही बाहर निकले वही सास-बहू के किस्से या बुराई अभियान शुरू ।  
       इसीलिए हमेशा दूसरों के प्रति आदर भाव रखे ,अपना काम प्रामाणिकता से करें  यही सच्चा सतसंग है

  

Thursday 22 May 2014

अनुभव

जब वह डाक्टर के पास पहुँचा तो देखा बड़ी लम्बी कतार थी ।पर उसनें तो समय लिया था फिर भी अभी तक उसका नंबर नही आया था ।उसके पास इंतजार करने के सिवाय कोई चारा नहीं था । पिछले कई दिनों से वह सिर दर्द ,पैरों में दर्द ,पेट की तकलीफ से परेशान था  ।
       आज यहाँ बैठे-बैठे उसे माँ की बातें याद आ रही थी ।वह अक्सर कहती थी बेटा शरीर का ध्यान रखा करो ,थोडा चला करो ,कुछ व्यायाम,योगा किया करो ।और मैं कहता कि तुम नही समझोगी  काम ही इतना होता है ,कितना स्ट्रेस होता है इन सब चीजों के लिए कहाँ समय होता है  ।तब माँ कहती  "बेटा, अभी कुछ समय निकालोगे तो जिदंगी में स्वस्थ्य रहोगे ' पर उस समय मैंने उनकी बातों पर ध्यान ही दिया । माँ हमेशा यही कहती कि अगर तुम्हारा स्वास्थय अच्छा रहेगा तो हर काम अच्छी तरह से कर पाओगे ।
       और तभी उसका नंबर आ गया । डाकटर साहब ने जाँच कर तरह -तरह की दवाइयाँ दी और साथ में ढेरों हिदायतें ।
     उसने तो निश्चय कर लिया कि कल से ही सुबह जल्दी उठकर थोड़ा चलना है फिर थोड़ा योगा,व्यायाम आदि । माँ सच ही कहतीं थी
सच ही है पहला सुख निरोगी काया ।
   तो आप कब से शुरू कर रहे हैं ।
    

Saturday 10 May 2014

माँ

ऐ माँ तू कितनी अच्छी है ...प्यारी-प्यारी है ।
   माँ तो होती ही ऐसी है ।इस सृष्टि का सबसे अद्भुत ,सुंदर रूप  ।
    माँ तो वो होती है जो खुद गीले में सोकर अपने बच्चे को सूखी जगह पर सुलाती है ,बीमार होने पर रात-रात भर जागती है । आज भले ही डाइपर और रेडीमेड खाने के जमाने में माँ को गीले में नहीं सोना पड़ता पर माँ तो माँ ही होती है । आज के इस स्पर्धात्मक समय में बच्चे को अच्छी से अच्छी शिक्षा देने के लिए  उसे दोहरी जिममेदारी निभानी पडती है  । वह घर और नौकरी अथवा व्यवसाय दोनों जिममेदारीयों को बखूबी निभाती है
       धन्य है माँ ।
      happy mother's day.