Saturday 28 February 2015

चित्रकार

अरे ओ चित्रकार
       कौन है तू ,कभी देखा नहीं
       रहता है कहाँ तू ? 
      कैसे भरता है रंग इस जगत में
      कहाँ से लाता है इतने ?
    ये हरे भरे पर्वत ,ये नदियाँ ,ये झरनें
      ये पेड़ पौधे फलों से लदे
       हैं जो लाल,पीले ,नीले रंगों से सजे ।
       क्या तू है वही जिसे ,हमनें है बैठाया
          मंदिर ,मस्जिद ,चर्च और गुरुद्वारे में
         तूने तो बांटे हैं सभी को
              रंग एक जैसे
        फिर क्यों कोई करता है
            तेरे बनाये इस
       सतरंगी जहाँ को मटमैला
        भर के  रंग हिंसा का
                नफरत का
                 द्वेष का
           अरे तू आता क्यों नहीं
          बचाने अपनी सुंदर
          सतरंगी दुनियाँ को ।
               
               
    
  

     

Monday 23 February 2015

अल्हड किशोरी

     देखो कोई अल्हड किशोरी
     बस अपने में ही मगन
        कर रही है जतन
     कि,कच्ची अमियाँ
     लग जाये कुछ हाथ ।
     न कोई चिंता न फिकर
      है दुनियाँ के झंझटों से
      बेखबर कुछ इस तरह
     बस अपनी ही धुन में
      कितना अच्छा हो
      जीवन के सारे पल
     ऐसे ही बीतें
      उन्मुक्त और बिंदास ।
    
    
        

Thursday 19 February 2015

सफलता

ये बात तो सोलह आने सत्य है के कड़ी मेहनत के बिना सफलता प्राप्त नहीं होती पर हम इस बात से भी इंकार नहीं कर सकते कि किसी भी कार्य में सफल होने के लिए सही प्लानिंग भी उतनी ही आवश्यक है ।
    इसका अर्थ यह कि कठिन परिश्रम के साथ सही प्लानिंग करना अति आवश्यक है ।
    जब हम अपना लक्ष्य निर्धारित कर लेते है तभी उसे प्राप्त करने के लिए अगला कदम बढ़ा सकते हैं । कई बार होता ये है के व्यक्ति निश्चय ही नहीं कर पाता किआखिर उसे करना क्या है ? और इस कारण उसे असफलता का सामना करना पड़ता है ।
  अगर हमें सफलता प्राप्त करनी है तो हमें यह जानना होगा के आखिर हमें करना क्या है  । एक बार ये निश्चित हो गया , फिर जुट जाओ लक्ष्य को पाने के लिए , फिर कैसा  इंतज़ार? मंज़िल आपको सामने ही दिखाई देगी ।  जरूरत है पहला कदम बढ़ाने की । पहला कदम तो बढ़ाना ही पड़ेगा तभी तो हम मंज़िल तक पहुंच सकेंगे ।
   तो फिर देर किस बात की हो जाओ शुरू।
       चल उठा कदम ,बढ़ा कदम
        पा ले अपनी मंज़िल को
       रुक मत राह में , ना डर मुश्किलों से
      है मंज़िल चाहे दूर ,तू रख स्वयं में विश्वास
         जीत कर दिखला जहाँ को
         जीत कर दिखला ।

Friday 6 February 2015

स्वच्छ भारत

स्वच्छ भारत ,स्वस्थ भारत का ,
   नारा गूँज रहा है चारो ओर ,
गली -मोहल्लों मे ,
     बैठकें  बुलवाई गई  ,
     रखना है सभी को ध्यान सफाई का ,
     आदेश फरमाए गए ।
     जगह -जगह बडे-बडे ,'डस्टबीन' रखवाए गए ।
    होता था साथ में चाय -नाश्ते का प्रावधान भी,   और अंत में स्वच्छ भारत के नारे के साथ
   सभा समाप्ति की घोषणा ।
और फिर वहाँ का मंजर ,क्या बताएँ ...
      खाली गिलासों का ढेर,   जो हवा के साथ उड़कर फैलते है चारों ओर ,
    डस्टबीन बेचारे ,मुंह खोले ,आस लगाए ,
    शरमा रहे होते है अपनी उपस्थिति पर ,
   और ये तथाकथित पढे-लिखे लोग ,
किनारे खडे होकर गप्पें हाँक रहे होतें हैं  ।
    उधर सडक पर कोई नेता जी ,  
    खडे हैं ब्रांड न्यू झाड़ू ले कर ,
    केमरामैन पीछे-पीछे दौड रहे है ,
कौनसा पोज़ अच्छा रहेगा ?
    कर्मचारी साथ में खुशबूदार सेनेटाइज़र लिए ।
    हम भी सोचने पर मजबूर हो गए ,
     ऐसे बनेगा स्वच्छ भारत ?
    पर आज जब देखा, एक बच्चे को ,
   चॉकलेट खाकर रेपर  हाथ में लिए है ,
    माँ कह रही है बेटा फ़ेंक दे सड़क पर ,
    बच्चा बोला -डालूँगा इसे कूड़ेदान में ,
  आपको पता नहीँ क्या?
     हमें देश को स्वच्छ बनाना है ,
      इसकी शान बढ़ाना है ।
          
  

Wednesday 4 February 2015

मैंने देखा है

मैनें देखा है,वृक्षों को छांव देते हुए ,
      फूल और फल देते हुए
      नदियों को मीठा जल देते हुए,
     न किसी से कुछ पाने की चाह , न आस ।
     और इंसान है कि जब ,
       भाई -भाई को कर्ज देता है
      पूरा ब्याज भी लेता है
    पता नहीं वो बचपन  के पल ,
     जो बिताए थे  साथ
       कहाँ चले जाते है  ,
     और शायद लौट कर कभी वापस नहीं आते ,
     बस रह जाती हैं कुछ धुंधली यादें ,
      जो रुलाती हैं अक्सर अकेले में ,
       ले जाती हैं पीछे -
       वो कैसे एक नारंगी को  ,
   आधा -आधा बांट कर खाते थे ,
     और आज आलम ये है कि ,
      विरासत को बांटना है आधी-आधी ,
     ये मेरा हक वो तेरा हक ,
     और भूल जाते हैं सब
      यह भी कि खाली हाथ जाना है
      फिर क्यों ये लड़ाई ?
      मिल बाँट के रहने में ही है भलाई ।